अनà¥â€à¤¯à¤¾à¤¯ और अतà¥â€à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤° करने वाला, उतना दोषी नहीं माना जा सकता, जितना कि उसे सहन करने वाला। - बाल गंगाधर तिलक